सतरंगी रे
फैला हुआ, लेकिन आधा सा.
कभी कोने से झांकता हुआ.
कभी बादलों के पीछे, कभी अम्बर के ऊपर.
धुप के साए में रंगीन सी एक परछाई,
बारिश के बूंदों से छन-छन कर आयी
सतरंगी रे!
फैला हुआ, लेकिन आधा सा.
कभी कोने से झांकता हुआ.
कभी बादलों के पीछे, कभी अम्बर के ऊपर.
धुप के साए में रंगीन सी एक परछाई,
बारिश के बूंदों से छन-छन कर आयी
सतरंगी रे!